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ग़ज़ल
एस. एच. बिहारी
ग़ज़ल
जाने फिर तुम से मुलाक़ात कभी हो कि न हो
खुल के दुख-दर्द की कुछ बात कभी हो कि न हो
बीएस जैन जौहर
ग़ज़ल
जितने भी दिल-फेंक थे शाएर यू-एस में आबाद हुए
नाईट-क्लबों की रौनक़ ने बेचारों को मार दिया
खालिद इरफ़ान
ग़ज़ल
कैसे करूँ मैं ज़ब्त-ए-राज़ तू ही मुझे बता कि यूँ
ऐ दिल-ए-ज़ार शरह-ए-राज़ मुझ से भी तू छुपा कि यूँ