aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "saGiir"
किसी इंसान को अपना नहीं रहने देतेशहर ऐसे हैं कि तन्हा नहीं रहने देते
निकल गए थे जो सहरा में अपने इतनी दूरवो लोग कौन से सूरज में जल रहे होंगे
बराए नाम सही साएबाँ ज़रूरी हैज़मीन के लिए इक आसमाँ ज़रूरी है
क्यूँ हर उरूज को यहाँ आख़िर ज़वाल हैसोचें अगर तो सिर्फ़ यही इक सवाल है
न जाने क्यूँ सदा होता है एक सा अंजामहम एक सी तो कहानी सदा नहीं कहते
जिसे सुनाओगे पहले ही सुन चुका होगामुझे यक़ीन है ये ऐसा वाक़िआ होगा
दिल का खोना बहुत ज़रूरी हैइश्क़ होना बहुत ज़रूरी है
उस की जानिब यूँ मोड़ दी आँखेंउस के चेहरे पे छोड़ दी आँखें
सुन रहे हैं सभी तवज्जोह सेतेरी बातें जो कर रहा हूँ मैं
कैसे जानूँ कि जहाँ ख़्वाब-नुमा होता हैजबकि हर शख़्स यहाँ आबला-पा होता है
मैं ढूँड लूँ अगर उस का कोई निशाँ देखूँबुलंद होता फ़ज़ा में कहीं धुआँ देखूँ
रात अंदर उतर के देखा हैकितना हैरान-कुन तमाशा है
ख़ुद से निकलूँ तो अलग एक समाँ होता हैऔर गहराई में उतरूँ तो धुआँ होता है
किरदार कह रहे हैं कुछ अपनी ज़बान मेंकितनी कहानियाँ हैं इसी दास्तान में
टूटी हुई क़ब्रों में कहीं थे कि नहीं थेसब अहल-ए-हवस ज़ेर-ए-ज़मीं थे कि नहीं थे
ख़ाक में मिलती हैं कैसे बस्तियाँ मालूम होआने वालों को हमारी दास्ताँ मालूम हो
वो हक़ीक़त में एक लम्हा थाजिस का दौरान ये ज़माना था
जब सामने की बात ही उलझी हुई मिलेफिर दूर देखती हुई आँखों से भी हो क्या
फ़क़त ज़मीन से रिश्ते को उस्तुवार कियाफिर उस के बाद सफ़र सब सितारा-वार किया
फिर इस के बाद रास्ता हमवार हो गयाजब ख़ाक से ख़याल नुमूदार हो गया
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