आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "saaz-e-ajal"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "saaz-e-ajal"
ग़ज़ल
ये मेरा ज़र्फ़ है जो मैं ने कड़वे घूँट पी कर भी
सर-ए-महफ़िल तिरी साक़ी-गरी की आबरू रख ली
महमूद बेग साज़
ग़ज़ल
सौ दश्त समुंदर छानो पर आते रहो क़र्या-ए-दिल तक भी
बैरूनी हवा के झोंकों में इक मौज-ए-मक़ामी रहने दो
अब्दुल अहद साज़
ग़ज़ल
जुमूद का एक दौर गुज़रा था फ़िक्र-ओ-फ़न पर
तवील अर्से के ब'अद फिर 'साज़' हम हुए थे
अब्दुल अहद साज़
ग़ज़ल
क्या उन से समाअत भी गुज़र पाएगी ऐ 'साज़'
वो दर जो तह-ए-जुम्बिश-ए-मिज़राब खुलेंगे