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ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
अज़िय्यतों में भी बख़्शी मुझे वो ने'मत-ए-सब्र
कि मेरे दिल में गिरह है न मेरे माथे पे बल
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
सेहन में इक शोर सा हर आँख है हैरत-ज़दा
चूड़ियाँ सब तोड़ दीं दुल्हन ने पहली रात को
सिब्त अली सबा
ग़ज़ल
वो जिन की दस्त-ख़तें महज़र-ए-सितम पे हैं सब्त
हर उस अदीब हर उस बे-अदब से वाक़िफ़ हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
अभी सीनों में लहराते हैं मेरी याद के परचम
अभी तक सब्त हैं मोहरें दिलों पर बादशाहत की