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ग़ज़ल
घबरा रहा हूँ क्यों ये ग़म-ए-नारवा से अब
क्या मुझ में ग़म के सहने की ताक़त नहीं रही
हयात अमरोहवी
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
जिस नाले से दुनिया बेकल है वो जलते दिल की मशअल है
जो पहला लूका ख़ुद न सहे वो आग लगाना क्या जाने
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
इक उम्र नुमू की ख़्वाहिश में मौसम के जब्र सहे तो खुला
हर ख़ुशबू आम नहीं होती हर फूल गुलाब नहीं होता