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ग़ज़ल
जोश-ए-गिर्या उस पर आहों की ये सैलाबी हवा
कौन सी है मौज-ए-अश्क ऐसी जो तूफ़ानी नहीं
सीमाब अकबराबादी
ग़ज़ल
शम्ओं का आख़िर हाल ये पहुँचा सब्र पड़ा परवानों का
कव्वे उठा के ले गए दिन को पाई सज़ा सरताबी की
आग़ा हज्जू शरफ़
ग़ज़ल
सब की कहानी एक तरफ़ है मेरा क़िस्सा एक तरफ़
एक तरफ़ सैराब हैं सारे और मैं प्यासा एक तरफ़
तहज़ीब हाफ़ी
ग़ज़ल
ज़ब्त सैलाब-ए-मोहब्बत को कहाँ तक रोके
दिल में जो बात हो आँखों से अयाँ होती है
साहिर होशियारपुरी
ग़ज़ल
चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो