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ग़ज़ल
बला से हो अगर सारा जहाँ उन की हिमायत पर
ख़ुदा-ए-हर-दो-आलम की हिमायत हम भी रखते हैं
जोश मलसियानी
ग़ज़ल
सब की कहानी एक तरफ़ है मेरा क़िस्सा एक तरफ़
एक तरफ़ सैराब हैं सारे और मैं प्यासा एक तरफ़
तहज़ीब हाफ़ी
ग़ज़ल
मुझे तो कर दिया सैराब साक़ी ने मिरे लेकिन
मिरी सैराबियों की तिश्ना-सामानी नहीं जाती