aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sajjad-ali"
ऐ काश अपने सारे जज़्बात रोक लेताजिस बात पर वो रूठे वो बात रोक लेता
तुझ को जीना हुआ पुर-ख़तर ज़िंदगीजान लेगी तिरी रहगुज़र ज़िंदगी
सामने आने पे उस के आज वहशत हो गईदिल की दीवारों से इक तस्वीर रुख़्सत हो गई
हर शय है सोगवार मगर क्या कोई कहेकहने को है हज़ार मगर क्या कोई कहे
परेशाँ मुझ को अक्सर मेरी जाँ मा'लूम होती हैहर इक रूदाद अपनी दास्ताँ मा'लूम होती है
रात को मेरे बाम तलक महताब था या तुम आए थेझील किनारे रक़्स परी का ख़्वाब था या तुम आए थे
घर अपना छोड़ कर जाने का मेरा मन नहीं करताफिर इक बंजारा बन जाने का मेरा मन नहीं करता
लाख आशिक़ हुआ करे कोईइश्क़ का हक़ अदा करे कोई
याद उस की मुझे दिलाते होआग बारूत में लगाते हो
दूर रहना हमें सिखा दीजेया उदासी का हल बता दीजे
हम ने जाएज़ शराब कर डालीज़िंदगानी ख़राब कर डाली
सवा नेज़े पे आफ़्ताब आयाजलती दुनिया को ये जवाब आया
सब हसीनाओं को मु'आफ़ी हैशे'र कहने को चाँद काफ़ी है
वो सितारे वो आसमान कहाँमुझ को छोड़ा है दरमियान कहाँ
दो निगाहों से चार की ठहरीशुक्र-सद-शुक्र प्यार की ठहरी
पहले मुझ से कमान ली गई थीफिर वही मुझ पे तान ली गई थी
दुनिया को तिरे दर्द दिखाए नहीं जातेऔर हिज्र में ये क़िस्से छुपाए नहीं जाते
क़लंदराना नज़र है तिरी अजब 'आसी'है रहमतों से सजा हुस्न-ए-यार का आलम
आप मिल जाएँगे कहीं न कहींज़ख़्म छिल जाएँगे कहीं न कहीं
ऊँची 'इमारतों के मकीं देखते रहेहम कैसे आए ज़ेर-ए-ज़मीं देखते रहे
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