आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "sar-gashta-e-mohabbat"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "sar-gashta-e-mohabbat"
ग़ज़ल
क्या कहें उस को ब-जुज़ सर-गश्ता-ए-फ़हम-ओ-ख़िरद
जिस को दीवाना कहा दुनिया ने दाना हो गया
सय्यद नवाब हैदर नक़वी राही
ग़ज़ल
कोई सर-गश्ता-ए-रस्म-ए-जुनूँ है नारा-ज़न 'अतहर'
सर-ए-शहर-ए-ख़मोशाँ कैसी आवाज़-ए-अज़ाँ आई
अतहर ज़ियाई
ग़ज़ल
बज़्म-ए-हस्ती पे है मुश्किल मिरा माइल होना
मुझ को आता नहीं सर-गश्ता-ए-बातिल होना
मोहम्मद सादिक़ ज़िया
ग़ज़ल
हुई सर-गश्ता ख़ाक अपनी ग़ुबार-ए-कारवाँ हो कर
मुझे क़िस्मत सताती है रक़ीब-ए-कामराँ हो कर
जमीला ख़ुदा बख़्श
ग़ज़ल
दिल-ए-सर-गश्ता भी तो एक बला में है फँसा
कभी खोली है कभू ज़ुल्फ़-ए-दोता बाँधे है