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ग़ज़ल
इफ़्तिख़ार अहमद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
हलाकत-ख़ेज़ ईजादों पे दुनिया फ़ख़्र करती है
कहाँ हैं इर्तिक़ा-ए-नौ-ए-इंसाँ देखने वाले
ग़ौस मोहम्मद ग़ौसी
ग़ज़ल
दरिया-ए-फ़िक्र-ए-नौ की रवानी में गिर गया
सूरज फिसल के बर्फ़ के पानी में गिर गया
लकी फ़ारुक़ी हसरत
ग़ज़ल
'अहद-ए-नौ में कुछ नहीं मिलता है क़ीमत के बग़ैर
अब मसीहा ने रविश अपनी पुरानी छोड़ दी
बद्र-ए-आलम ख़ाँ आज़मी
ग़ज़ल
मिरे लहू से है इक रंग-ए-नौ-बहार-ए-ग़ज़ल
ग़रीब-ए-शहर हूँ लेकिन हूँ शहर-यार-ए-ग़ज़ल