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ग़ज़ल
न हो वहशत-कश-ए-दर्स-ए-सराब-ए-सत्र-ए-आगाही
मैं गर्द-ए-राह हूँ बे-मुद्दआ है पेच-ओ-ख़म मेरा
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
नसीहत-गर ख़िरद-आमेज़ असास-ए-मुल्क-ए-मुस्तहकम
बहार-ए-अंजुमन दस्त-ए-अता सिर्र-ए-निहाँ हो जा
रिज़वान अंजुम
ग़ज़ल
सूरत-ए-बख़्शिश दिखावें काग़ज़-ओ-सत्र-ओ-हुरूफ़
हो अमल-नामा सर-ए-महशर धुआँ बत्ती चराग़
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
अज़्म-ए-मुस्तहकम ने बढ़ कर ख़ुद बना ली अपनी राह
या'नी मंज़िल खींच के गर्द-ए-कारवाँ तक आ गई
मुस्लिम मलेगाँवी
ग़ज़ल
किताब-ए-ख़्वाहिश का आख़िरी बाब लिख रहा हूँ
विसाल-ए-मौसम की सत्र-ए-नायाब लिख रहा हूँ
शाैकत हाशमी
ग़ज़ल
सनम की सत्र-ए-अबरू कातिब-ए-क़ुदरत ने लिखी है
कलीद-ए-इल्म-ए-मअ'नी है ये बिस्मिल्लाह सूरत में
शाह नसीर
ग़ज़ल
अख़्तर हुसैन जाफ़री
ग़ज़ल
मिरे ख़्वाब किस ने चुरा लिए सर-ए-शाम-ए-ग़म
मिरी उम्र जिस के थी इख़्तियार में कौन था
सत्तार सय्यद
ग़ज़ल
साअत-ए-हिज्र में वस्ल के पुल की मानिंद पंछी उड़ें
कितना ख़ुश-कुन है इन को सरों से गुज़रते हुए देखना