आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "shab-ba-khair"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "shab-ba-khair"
ग़ज़ल
झलकता है मिज़ाज-ए-शहरयारी हर बुन-ए-मू से
ब-ज़ाहिर 'ख़ैर' हर्फ़-ए-ख़ाकसारी ले के निकला है
रऊफ़ ख़ैर
ग़ज़ल
नींद में महवशान-ए-शहर बोसा-ए-आशिक़ाँ की ख़ैर
शब-ब-हवा-ए-नर्म-सैर सुब्ह हुई सिले गए
अज़ीज़ हामिद मदनी
ग़ज़ल
अमीक़ ज़ख़्म इस क़दर ब-दस्त-ए-रोज़-ओ-शब मिले
कि मुंदमिल न कर सकी दवा-ए-माह-ओ-साल तक
अज़ीम हैदर सय्यद
ग़ज़ल
आना है यूँ मुहाल तो इक शब ब-ख़्वाब आ
मुझ तक ख़ुदा के वास्ते ज़ालिम शिताब आ