आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "shahanshah"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "shahanshah"
ग़ज़ल
दिल क़स्र-ए-शहंशह है वो शोख़ उस में शहंशाह
अर्सा ये दो आलम का जिलौ ख़ाना है उस का
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
मुक़द्दर में तो लिक्खी है गदाई कू-ए-जानाँ की
अगर 'अफ़सर' शहंशाह-ए-ज़मन होता तो क्या होता
अफ़सर इलाहाबादी
ग़ज़ल
रेआया में शहंशाह-ए-जुनूँ की हम भी दाख़िल हैं
हमें भी कुछ न कुछ निस्बत तो है ज़िल्ल-ए-इलाही से
अहमद जावेद
ग़ज़ल
'प्रेम' शाएर तो शहंशाह हुआ करते हैं!
तुम मगर फिरते हो क्यूँ ख़ाना-ख़राबों की तरह