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ग़ज़ल
जब तक अर्ज़ां है ज़माने में कबूतर का लहू
ज़ुल्म है रब्त रखूँ गर किसी शहबाज़ के साथ
अहमद नदीम क़ासमी
ग़ज़ल
शाहबाज़ नय्यर
ग़ज़ल
अंजाम ख़ुशी का दुनिया में सच कहते हो ग़म होता है
साबित है गुल और शबनम से जो हँसता है वो रोता है