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ग़ज़ल
ज़ोम न कीजो शम्अ-रू बज़्म के सोज़ ओ साज़ पर
रखियो नज़र बजा-ए-नाज़ ख़ातिर-ए-पीर-ए-नाज़ पर
साइल देहलवी
ग़ज़ल
मिरे सोज़-ए-दरूँ में सौ तरह के लुत्फ़ हासिल हैं
जलाता हूँ दिलों को याद-ए-यार-ए-शमअ'-रु हो कर
नसीम देहलवी
ग़ज़ल
अक्स-ए-रू-ए-शम्अ-रू है मेरे दिल में जा-गुज़ीं
दिल मिरा इस आतिश-ए-लम'आ-फ़गन में मस्त है
बहराम जी
ग़ज़ल
माइल-ए-सैर-ए-चराग़ाँ ख़ल्क़ हर जा दम-ब-दम
हासिल-ए-नज़्ज़ारा हुस्न-ए-शम्अ-रू याँ पै-ब-पै
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
शम् ओ परवाना न महफ़िल में हों बाहम ज़िन्हार
शम्अ'-रू ने मुझे भेजे हैं ये परवाने दो