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ग़ज़ल
मवाली-ए-अली का है ब-ख़ैर अंजाम बूझ ऐ 'इश्क़'
ख़ुदा हाफ़िज़ तिरा दोज़ख़ भी इक शरई-ए-दिक्का है
इश्क़ औरंगाबादी
ग़ज़ल
हर इक दिल के तईं ले कर वो चंचल भाग जाता है
सितमगर है जफ़ा-जू है शराबी है उचक्का है
ताबाँ अब्दुल हई
ग़ज़ल
सारी दुनिया की नज़र में है मिरा अहद-ए-वफ़ा
इक तिरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा