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ग़ज़ल
कौन था मेरे रू-ब-रू आलम-ए-वज्द-ओ-हाल में
किस की निगाह-ए-लुत्फ़ से बन गया आइना चराग़
ज़िया फ़ारूक़ी
ग़ज़ल
अर्श की क़ील-ओ-क़ाल सुनी अफ़्साना-ए-वज्द-ओ-हाल सुना
ज़ेहन की वो अय्याशी है और रूह की ये अय्याशी है
इज्तिबा रिज़वी
ग़ज़ल
शारिक़ मेरठी
ग़ज़ल
शरीक-ए-हाल-ए-दिल-ए-बे-क़रार आज भी है
किसी की याद मिरी ग़म-गुसार आज भी है