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ग़ज़ल
सीन ख़ाली है बड़ी शीन पे हैं नुक़्ता तीन
साद और ज़ाद में बस फ़र्क़ है इक नुक़्ते से
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
वो गुनगुनाते रास्ते ख़्वाबों के क्या हुए
वीराना क्यूँ हैं बस्तियाँ बाशिंदे क्या हुए