आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "si.ngaar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "si.ngaar"
ग़ज़ल
न मैं लाग हूँ न लगाव हूँ न सुहाग हूँ न सुभाव हूँ
जो बिगड़ गया वो बनाव हूँ जो नहीं रहा वो सिंगार हूँ
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
'नाज़' तिरे ज़ख़्मी हाथों ने जो भी किया अच्छा ही किया
तू ने सब की माँग सजाई हर इक का सिंगार किया