आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "singh"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "singh"
ग़ज़ल
तुझे क्या ख़बर मिरे हम-सफ़र मिरा मरहला कोई और है
मुझे मंज़िलों से गुरेज़ है मेरा रास्ता कोई और है
दर्शन सिंह
ग़ज़ल
अँधेरों में भटकना है परेशानी में रहना है
मैं जुगनू हूँ मुझे इक शब की वीरानी में रहना है
ख़ुशबीर सिंह शाद
ग़ज़ल
नित नित का ये आना जाना मेरे बस की बात नहीं
दरबानों के नाज़ उठाना मेरे बस की बात नहीं
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
ग़ज़ल
अभी वो कमसिन उभर रहा है अभी है उस पर शबाब आधा
अभी जिगर में ख़लिश है आधी अभी है मुझ पर इताब आधा
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
ग़ज़ल
रगों में ज़हर-ए-ख़ामोशी उतरने से ज़रा पहले
बहुत तड़पी कोई आवाज़ मरने से ज़रा पहले
ख़ुशबीर सिंह शाद
ग़ज़ल
हम उन के सितम को भी करम जान रहे हैं
और वो हैं कि इस पर भी बुरा मान रहे हैं
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
ग़ज़ल
समुंदर ये तिरी ख़ामोशियाँ कुछ और कहती हैं
मगर साहिल पे टूटी कश्तियाँ कुछ और कहती हैं