aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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माल उठा और दुकान ख़ाली करये ज़मान-ओ-मकान ख़ाली कर
तारीक ज़िंदगी को बनाने लगा है वोसूरज से रौशनी को चुराने लगा है वो
ऐ आरज़ू-ए-क़त्ल ज़रा दिल को थामनामुश्किल पड़ा मिरा मिरे क़ातिल को थामना
मैं बात कौन से पैराया-ए-बयाँ में करूँजो सोचता हूँ उसे किस ज़बान में लिखूँ
सर-ए-निगाह बिसात-ए-जहाँ तो कुछ भी नहींजहान-ए-ख़ुद-निगर-ओ-कज-गुमाँ तो कुछ भी नहीं
मु'आफ़ कर मिरी मस्ती ख़ुदा-ए-अज़्ज़ा-व-जलकि मेरे हाथ में साग़र है मेरे लब पे ग़ज़ल
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