aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "taa-der"
आँखों में सितारे से चमकते रहे ता-देरइक घर के दर-ओ-बाम को तकते रहे ता-देर
मुझ को हर रात ही ता-देर रुलाता हुआ शख़्सछोड़ के भी नहीं जाता है ये जाता हुआ शख़्स
ता-देर हम ब-दीदा-ए-तर देखते रहेयादें थीं जिस में दफ़्न वो घर देखते रहे
आफ़रीं सामने आँखों के मिरीयूँ ही ता-देर रहा कीजिए बस
ख़ुद भी अपना वक़ार खो दोगेमुझ को ता-देर आज़माने तक
चल भी दिये दिखला के तमाशा तो 'ज़फ़र' हमबैठे रहे ता-देर तमाशाई हमारे
बगूले आग के रक़्साँ रहे ता देर साहिल परसमुंदर का समुंदर छुप गया उड़ते शरारों से
ग़ौर करता हूँ जो 'शफ़क़त' कभी तन्हाई मेंअपने हालात पे ता-देर हँसी आती है
ये कौन था जो आया हँसा और चला गयाता देर खोई खोई रही अंजुमन तमाम
फ़लक-ए-इश्क़ पे ता-देर ठहरना है मुहालइस बुलंदी से उतारे भी नहीं जा सकते
ता-देर रहा ज़ाइक़ा-ए-मर्ग लबों परइक नींद के टूटे हुए मंज़र से निकल कर
नागाह पड़ गई जो कहीं उन पे इक नज़रता-देर अपने आप को हम देखते रहे
याद आता रहा ता-देर सफ़र में मुझ कोहाथ रह रह के दरीचे से हिलाने वाला
ता-देर जो हंगामा-ए-फ़रियाद रहेगाशक है कि कहीं आलम-ए-ईजाद रहेगा
मैं सच का तरफ़-दार था वो झूट का हामीता-देर भला कैसे ठहरता मिरे आगे
जुर्म हँसता रहा ता-देर अदालत में आजऔर सच रोता रहा झूट की तहरीर के साथ
कि ख़्वाब में रहे ता-देर गुफ़्तुगू तुझ सेज़रा सी बात को मैं वाक़िआ' बनाती हूँ
क्या मेरी ख़मोशी ने 'क़मर' उन से कहा हैता-देर वो महफ़िल में पशेमान रहे हैं
इक हिज्र जो हम को लाहक़ है ता-देर उसे दोहराएँ क्यावो ज़हर जो दिल में उतार लिया फिर उस के नाज़ उठाएँ क्या
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