आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "tapish-e-aa.iina"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "tapish-e-aa.iina"
ग़ज़ल
देख कर मेरी अना किस दर्जा हैरानी में है
उस ने समझा था कि सब कुछ बाब-ए-इम्कानी में है
अब्दुस्समद ’तपिश’
ग़ज़ल
तुम्हारे ज़ौक़-ए-सफ़र का ये इम्तिहान है 'तपिश'
खिलेंगे फूल भी राहों में तुम क़दम तो बढ़ाओ
अब्दुस्समद ’तपिश’
ग़ज़ल
मोनी गोपाल तपिश
ग़ज़ल
मैं 'तपिश' जिन रग़बतों को ओढ़ कर फिरता रहा
वो दर-ओ-दीवार वो अँगनाई गर्द-आलूद थी
मोनी गोपाल तपिश
ग़ज़ल
शाइर कहाँ था सिर्फ़ था जज़्बात का ताज-ए-तपिश
साहिल की सूखी रेत में अक्सर यही चर्चा हुआ
मोनी गोपाल तपिश
ग़ज़ल
ऐ 'अना' तुम मत गिराना अपने ही किरदार को
उन को कहने दो कि ख़ुद-दारी कहाँ आ गई