aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "taraash"
सुना है उस के बदन की तराश ऐसी हैकि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं
दिल तो चमक सकेगा क्या फिर भी तरश के देख लेंशीशा-गिरान-ए-शहर के हाथ का ये कमाल भी
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलेंजिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
तरस रहा हूँ मगर तू नज़र न आ मुझ कोकि ख़ुद जुदा है तू मुझ से न कर जुदा मुझ को
ये बुतान-ए-अस्र-ए-हाज़िर कि बने हैं मदरसे मेंन अदा-ए-काफ़िराना न तराश-ए-आज़राना
तराश कर मिरे बाज़ू उड़ान छोड़ गयाहवा के पास बरहना कमान छोड़ गया
तमाशा अपना सर-ए-रह-गुज़र बनाया जाएजो राहज़न है उसे राहबर बनाया जाए
क्या कहें तुम से बूद-ओ-बाश अपनीकाम ही क्या वही तलाश अपनी
मुझे तराश रहा है ये कौन बरसों सेमिरा वजूद मुकम्मल नहीं हुआ अब तक
किन मुट्ठियों ने बीज बिखेरे ज़मीन परकिन बारिशों ने इस को तमाशा बना दिया
हर इक क़दम उठा था नए मौसमों के साथवो जो सनम तराश था बुत पूजता न था
जिस तरह लोग ख़सारे में बहुत सोचते हैंआज कल हम तिरे बारे में बहुत सोचते हैं
तराश लेता हूँ उस से भी आइने 'मंज़ूर'किसी के हाथ का पत्थर अगर लगे है मुझे
पाबंद-ए-रंग-ओ-नक़्श हूँ तस्वीर की तरहमैं बे-हिजाब अपने हिजाबों के साथ हूँ
मिरे क़रीब से गुज़रा नहीं है संग-तराशमुजस्समा हूँ मैं अब तक मगर चटान में हूँ
हुस्न-ए-बहार मुझ को मुकम्मल नहीं लगामैं ने तराश ली है ख़िज़ाँ अपने हाथ से
कुछ बुत बना लिए हैं चट्टानें तराश करदिल भी बहाना-साज़ है ग़म भी बहाना-साज़
तराश ऐसी कि रुकती है साँस धड़कन कीफिर उस पे चलना क़यामत की चाल होता है
मुझे तराश के रख लो कि आने वाला वक़्तख़ज़फ़ दिखा के गुहर की मिसाल पूछेगा
मिलने का मन नहीं तो बहाना नया तराशअब तो मुकालमे भी तिरे याद हो गए
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