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ग़ज़ल
डूबा हूँ तो किस शख़्स का चेहरा नहीं उतरा
मैं दर्द के क़ुल्ज़ुम में भी तन्हा नहीं उतरा
तारिक़ जामी
ग़ज़ल
चमकते ख़्वाब मिलते हैं महकते प्यार मिलते हैं
तुम्हारे शहर में कितने हसीं आज़ार मिलते हैं
ख़ुर्शीद अहमद जामी
ग़ज़ल
जाएज़ है हर इक हर्बा इस वक़्त सियासत में
पत्थर का बयाँ ले लो शीशे की अदालत में
अब्दुल मतीन जामी
ग़ज़ल
जवाँ था दिल न था अंदेशा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ पहले
वो थे क्या मेहरबाँ सारा जहाँ था मेहरबाँ पहले
जामी रुदौलवी
ग़ज़ल
जवाँ था दिल न था अंदेशा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ पहले
वो थे क्या मेहरबाँ सारा जहाँ था मेहरबाँ पहले
जामी रुदौलवी
ग़ज़ल
ज़िया फ़तेहाबादी
ग़ज़ल
वो दूर जाता है 'तारिक़' तो जान जाती है
वो जिस पे आप को आता है प्यार मुद्दत से
तारिक़ इस्लाम कुकरावी
ग़ज़ल
उस नस्ल में मौजूद हूँ जिस नस्ल को 'जामी'
तारीख़ का कुछ इल्म न अब तीर-ओ-सिनाँ याद