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ग़ज़ल
नईम सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
चारासाज़ों के मरने पर बाग़ी लोग बढ़ेंगे ही
उजलत में यूँ जेल बनाना टैक्स बढ़ाना भी डर है
अश्विनी यादव
ग़ज़ल
चश्म में सुरमे का दुम्बाला बना कर बोले
क्यूँ असा टेक के हो जाए खड़ी मेरी आँख