aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "thaur"
आसमाँ मिल न सका धरती पे आया न गयाज़िंदगी हम से कोई ठौर बनाया न गया
'मोहसिन' कहीं भी ले के हमें आब-ओ-दाना जाएअपना यहाँ पे ठौर कोई क्या ठिकाना क्या
शर्त साहिल की ये होती ही किसी तूफ़ाँ मेंठौर जब तक न मिले ख़ुद को बहाए रखिए
मुलाक़ात क्या हो रहे ठौर बस हमकि जाने के वाँ तो ठिकाने बंधे हैं
ज़रा कीजिए ग़ौर हज़रत-सलामतये क्या सीखा है तौर हज़रत-सलामत
इश्क़ है तर्ज़ ओ तौर इश्क़ के तईंकहीं बंदा कहीं ख़ुदा है इश्क़
अब अपने तौर ही में नहीं तुम सो काश किख़ुद में ख़ुद अपना तौर कोई दम मिले तुम्हें
फ़लक से तौर क़यामत के बन न पड़ते थेअख़ीर अब तुझे आशोब-ए-रोज़गार किया
काम की बात मैं ने की ही नहींये मिरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं
इक अजब तौर हाल है कि जो हैया'नी मैं भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
नाम पे हम क़ुर्बान थे उस के लेकिन फिर ये तौर हुआउस को देख के रुक जाना भी सब से बड़ी क़ुर्बानी थी
जो अपने तौर से हम ने कभी गुज़ारे थेवो सुब्ह ओ शाम तो जैसे फ़साने हो गए हैं
है अजब तौर हालत-ए-गिर्याकि मिज़ा को नमी से ख़तरा है
हज़ार मुझ से वो पैमान-ए-वस्ल करता रहापर उस के तौर-तरीक़े मुकरने वाले थे
है अजब हाल ये ज़माने कायाद भी तौर है भुलाने का
इक तौर-ए-दह-सदी था जो बे-तौर हो गयाअब जंतरी बजाइये तारीख़ गाइए
उसूली तौर पे मर जाना चाहिए था मगरमुझे सुकून मिला है तुझे जुदा कर के
तरदीद तो कर सकता था फैलेगी मगर बातइस तौर भी होगी तिरी रुस्वाई ज़रा और
मैं चाहता हूँ मिरी आँखें नोच ली जाएँतिरा ख़याल किसी तौर पाएमाल न हो
क्यूँकर हो अपने ख़्वाब की आँखों में वापसीकिस तौर अपने दिल के ज़मानों में जाऊँ मैं
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