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ग़ज़ल
जो तेरी बाहों में दम तोड़ना मुयस्सर हो
तो मुझ को मौत की आमद भी ज़िंदगी सी लगे
विजेंद्र सिंह परवाज़
ग़ज़ल
अनीस अब्र
ग़ज़ल
अजब रंग-ए-तअल्लुक़ है मोहब्बत का मिरे दिल से
कि उस को तोड़ना भी और सदा के साथ भी रहना
जावेद अहमद
ग़ज़ल
अनंत गुप्ता
ग़ज़ल
बस उसी को तोड़ना है ये जुनून-ए-नफ़अ'-ख़ोरी
यही एक सर्द ख़ंजर दिल-ए-रोज़गार में है