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ग़ज़ल
अनवर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
चुभें आँखों में भी और रूह में भी दर्द की किर्चें
मिरा दिल इस तरह तोड़ो के आईना बधाई दे
नक़्श लायलपुरी
ग़ज़ल
देर से सो कर उठने वालो तड़पो लेकिन शोर न हो
तुम को हक़ है आईनों को तोड़ो लेकिन शोर न हो
मोहसिन असरार
ग़ज़ल
बुत-ए-पिंदार को तोड़ो तो हो दिल पाक 'जलील'
तुम ख़ुदा-ख़ाना बनाओ इसी बुत-ख़ाने को
जलील मानिकपूरी
ग़ज़ल
बाबर अली असद
ग़ज़ल
ग़श से चौंको आँख खोलो दम न तोड़ो ऐ 'शरफ़'
शुक्र का सज्दा करो उठ बैठो यार आने को है