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ग़ज़ल
ये ख़िज़ाँ की ज़र्द सी शाल में जो उदास पेड़ के पास है
ये तुम्हारे घर की बहार है उसे आँसुओं से हरा करो
बशीर बद्र
ग़ज़ल
ये उदास उदास से बाम ओ दर ये उजाड़ उजाड़ सी रह-गुज़र
चलो हम नहीं न सही मगर सर-ए-कू-ए-यार कोई तो हो
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
कई साल बा'द मिले हैं हम तिरे नाम आज की शाम है
बशीर बद्र
ग़ज़ल
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं