आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "udh.de"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "udh.de"
ग़ज़ल
सारी दुनिया की नज़र में है मिरा अहद-ए-वफ़ा
इक तिरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
अहद-ए-जवानी रो रो काटा पीरी में लीं आँखें मूँद
या'नी रात बहुत थे जागे सुब्ह हुई आराम किया
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
कल बिछड़ना है तो फिर अहद-ए-वफ़ा सोच के बाँध
अभी आग़ाज़-ए-मोहब्बत है गया कुछ भी नहीं
अख़्तर शुमार
ग़ज़ल
अहद-ए-वफ़ा या तर्क-ए-मोहब्बत जो चाहो सो आप करो
अपने बस की बात ही क्या है हम से क्या मनवाओगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
ये अहद-ए-तर्क-ए-मोहब्बत है किस लिए आख़िर
सुकून-ए-क़ल्ब उधर भी नहीं इधर भी नहीं