आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ulfat-e-gul"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ulfat-e-gul"
ग़ज़ल
किसी की याद की ठंडी हवाएँ आज भी हैं पर
करें दिल को गुल-ओ-गुलज़ार ऐसा क्यूँ नहीं होता
शादाब उल्फ़त
ग़ज़ल
बनाया है जिन्हें मैं ने मोहब्बत के गुलाबों से
तर-ओ-ताज़ा वो गुल-दस्ते तुम्हारे नाम करती हूँ