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ग़ज़ल
बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो
बहुत दुख सह लिए मैं ने बहुत दिन जी लिया मैं ने
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
नहीं ये है गुलाल-ए-सुर्ख़ उड़ता हर जगह प्यारे
ये आशिक़ की है उमड़ी आह-ए-आतिश-बार होली में
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
आँसू थे सो ख़ुश्क हुए जी है कि उमडा आता है
दिल पे घटा सी छाई है खुलती है न बरसती है
फ़ानी बदायुनी
ग़ज़ल
गुज़र जाएगी ग़म की रात उम्मीदो तो जाग उट्ठो
सँभल जाएँगे दीवाने सितारो तुम तो सो जाओ
क़ाबिल अजमेरी
ग़ज़ल
ये सारी आमद-ओ-रफ़्त एक जैसी तो नहीं 'शाहीन'
कि दुनिया में सफ़र कम कम है और हिजरत ज़ियादा है
शाहीन अब्बास
ग़ज़ल
ये सारी आमद-ओ-शुद है नफ़स की आमद-ओ-शुद पर
इसी तक आना जाना है न फिर जाना न फिर आना