aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ustuvaar"
तिरी नाज़ुकी से जाना कि बँधा था अहद बोदाकभी तू न तोड़ सकता अगर उस्तुवार होता
सुना दिया गोश-ए-मुंतज़िर को हिजाज़ की ख़ामुशी ने आख़िरजो अहद सहराइयों से बाँधा गया था फिर उस्तुवार होगा
क़त्ल का मेरे किया है अहद तो बारेवाए अगर अहद उस्तुवार नहीं है
इश्क़ है अपना पाएदार तेरी वफ़ा है उस्तुवारहम तो हलाक-ए-वर्ज़िश-ए-फ़र्ज़-ए-मुहाल हो गए
नहीं शिकायत-ए-हिज्राँ कि इस वसीले सेहम उन से रिश्ता-ए-दिल उस्तुवार करते रहे
चारा-ए-इंतिज़ार कौन करेतेरी नफ़रत भी उस्तुवार नहीं
तमाम वा'दे कहाँ तलक याद रख सकोगेजो भूल जाएँ वो अहद भी उस्तुवार करना
ख़ुदा के बारे में इक दिन ज़रूर सोचेंगेअभी तो ख़ुद से तअल्लुक़ भी उस्तुवार नहीं
दिल ने भुला भुला के तिरी बेवफ़ाइयाँफिर 'अह्द उस्तुवार किया हाए क्या किया
तुम से भी जिन का अहद-ए-वफ़ा उस्तुवार थाऐ दुश्मनों वो दोस्त हमारे कहाँ गए
अपने सिवा किसी को ये दिल मानता न थाइस दिल को उस्तुवार तिरी आँख पर किया
इश्क़ ज़िंदगी ठहरा लेकिन अब ये मुश्किल हैज़िंदगी से होता है अहद उस्तुवार अपना
इस दिल को शौक़-ए-दीद में तड़पा के कर दियाक्या उस्तुवार वा'दा-ए-ना-उस्तवार ने
सिलसिला टूटना था टूट गयाअब उसे उस्तुवार कौन करे
सच के धागे से जो बने रिश्ताउम्र भर उस्तुवार रहता है
तिरे विसाल के मौसम में उस्तुवार हुआकोई अजब सा तअ'ल्लुक़ जहान-ए-फ़ानी से
आतिश-ए-ग़म-ए-दिल में ख़ाक हो गए हम तोरिश्ता-ए-मोहब्बत के उस्तुवार होने तक
जिस जगह पे ख़दशा हो पैर के फिसलने काहम क़दम वहीं 'एजाज़' उस्तुवार करते हैं
है क्या तमाशा उधर रंजिशें ही बढ़ती रहींतअ'ल्लुक़ात हमीं उस्तुवार करते रहे
खुलेगा इस पे ही 'अंजुम'-ख़लीक़ बाब-ए-क़ुबूलजो अपना हक़्क़-ए-तलब उस्तुवार कर लेगा
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