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ग़ज़ल
जो गुज़र दुश्मन है उस का रहगुज़र रक्खा है नाम
ज़ात से अपनी न हिलने का सफ़र रक्खा है नाम
जौन एलिया
ग़ज़ल
मिली निगाहें उठा तलातुम अजीब दिल पर असर हुआ है
जो हाल मेरा इधर हुआ है वो हाल उन का उधर हुआ है
नौशाद मुनीस आज़मी
ग़ज़ल
दिल के दाग़ नुमायाँ होंगे ज़ख़्मों की रुस्वाई होगी
ज़ालिम के अंदाज़ न पूछो अपनी बात पराई होगी
मौलवी सय्यद मुमताज़ अली
ग़ज़ल
मुक़द्दर अपना बरगश्ता मुख़ालिफ़ आसमाँ अपना
वो क्या रूठा कि दुश्मन हो गया सारा जहाँ अपना
शंकर लाल शंकर
ग़ज़ल
करें हम किस की पूजा और चढ़ाएँ किस को चंदन हम
सनम हम दैर हम बुत-ख़ाना हम बुत हम बरहमन हम