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ग़ज़ल
क्यूँकर न क़ुर्ब-ए-हक़ की तरफ़ दिल मिरा कीजिए
गर्दन असीर-ए-हल्क़ा-ए-हबल-उल-वरीद है
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
तू जो नौ-वारिद है सुन याँ ऐश-ए-हस्ती है जुदा
हुस्न की सरकार में लफ़्ज़-ए-फ़ना कुछ और है
इफ़्फ़त अब्बास
ग़ज़ल
मंज़िल-ए-गोर में क्या जानिए क्या गुज़रेगी
ताज़ा वारिद हैं अभी हम को ख़बर कुछ भी नहीं