आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "vajuud-e-bahar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "vajuud-e-bahar"
ग़ज़ल
ज़िंदगी के दश्त में आया न जब अक्स-ए-बहार
मैं ने ख़ुद को ख़ुद दिखाया वहशतों का सिलसिला
बहारुन्निसा बहार
ग़ज़ल
मुझ को इन ताज़ा बहारों से है क्या हासिल 'बहार'
हर गुल-ए-ख़ंदाँ नज़र आता है ज़ख़्म-ए-दिल मुझे
शिवराज बहार
ग़ज़ल
मैं ने 'बहार' इक वो गुल चुन लिया काएनात में
जिस की हर इक अदा मुझे फ़िक्र-ए-ग़ज़ल नवाज़ दे
शिवराज बहार
ग़ज़ल
जमाल-ए-शाहिद-ए-फ़ितरत का पर्दा-दार हूँ मैं
गुलों की क्या हो तमन्ना कि ख़ुद बहार हूँ मैं
शिवराज बहार
ग़ज़ल
तितलियों को रोक लो जाने न दो बाद-ए-सबा
अब 'बहार'-ए-बे-ख़िज़ाँ का है गुज़ारा रेत पर
बहारुन्निसा बहार
ग़ज़ल
ज़िंदगी के गुलसिताँ में रो पड़ी आ कर 'बहार'
आँसुओं को फिर लगाया उस ने ग़ाज़े की तरह
बहारुन्निसा बहार
ग़ज़ल
हज़रत-ए-अय्यूब को क्या पढ़ लिया तुम ने 'बहार'
साबिरों की ज़िंदगी पर तब्सिरा करने लगे