आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "vaqt-e-ja.ng-o-jadal"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "vaqt-e-ja.ng-o-jadal"
ग़ज़ल
रहा है शोर उन का बाइ'स-ए-जंग-ओ-जदल बरसों
कहीं अब ज़िक्र-ए-नाक़ूस-ओ-अज़ाँ बाक़ी न रह जाए
शर्म लखनवी
ग़ज़ल
कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो
ऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
उन से हम से प्यार का रिश्ता ऐ दिल छोड़ो भूल चुको
वक़्त ने सब कुछ मेट दिया है अब क्या नक़्श उभारोगे
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इज़्ज़त-ए-नफ़्स का मुश्किल है तहफ़्फ़ुज़ या'नी
एक फ़िरक़े को यहाँ जंग-ओ-जदल चाहिए है
सरफ़राज़ ख़ान आज़मी
ग़ज़ल
क्या पिघलता जो रग-ओ-पै में था यख़-बस्ता लहू
वक़्त के जाम में था शोला-ए-तर ही कितना