आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "vasl-e-sham.a"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "vasl-e-sham.a"
ग़ज़ल
ऐ 'शम्अ'' किस ने दी थी तुझे ऐसी बद-दुआ'
घर में कोई चराग़ न जलता दिखाई दे
सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ
ग़ज़ल
वो शख़्स आया था ऐ 'शम्अ' ले के मौसम-ए-गुल
उसे ख़बर ही न थी दर्द मेरा ज़ेवर था
सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ
ग़ज़ल
हुजूम-ए-ग़म सँभलता ही नहीं ऐ 'शम्अ'' अब मुझ से
कभी तो काश ऐसा हो मुझे तन्हा करे कोई
सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ
ग़ज़ल
'शम्अ'' इतना तो कभी उस की समझ में आए
डूबती कश्ती का साहिल से तक़ाज़ा क्या है
सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ
ग़ज़ल
ख़ल्लाक़-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ बड़ा दिल-नवाज़ है
तख़्लीक़-ए-शम्अ' होते ही परवाना बन गया
आले रज़ा रज़ा
ग़ज़ल
कैसे छुपाऊँ सोज़-ए-दिल तू ही मुझे बता कि यूँ
शम्अ बुझा दी यार ने जैसे था मुद्दआ कि यूँ
एस ए मेहदी
ग़ज़ल
ताबाँ मिसाल-ए-शम्अ हैं फ़ानूस-ए-नूर से
हर-चंद पाइचों में हैं मस्तूर पिंडलियाँ
कल्ब-ए-हुसैन नादिर
ग़ज़ल
परवाना वस्ल-ए-शम्अ पे देता है अपनी जाँ
क्यूँकर रहे दिल उस के रुख़-ए-आतिशीं से दूर
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
लुत्फ़ आए जो शब-ए-वस्ल मोअज़्ज़िन सो जाए
क्यूँकि वो गोश-बर-आवाज़ नज़र आते हैं
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
सदा सुनते ही गोया मुर्दनी सी छा गई मुझ पर
ये शोर-ए-सूर था या वस्ल का इंकार था क्या था
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
हज़ार शर्म करो वस्ल में हज़ार लिहाज़
न निभने देगा दिल-ए-ज़ार ओ बे-क़रार लिहाज़