आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "zillat-e-arbaab-e-nazar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "zillat-e-arbaab-e-nazar"
ग़ज़ल
बे-मेहरी-ए-अर्बाब-ए-वतन कम तो नहीं है
हाँ देखना इस दिल की चुभन कम तो नहीं है
सय्यद शफ़क़ शाह चिश्ती
ग़ज़ल
हम पर ये सख़्ती की नज़र हम हैं फ़क़ीर-ए-रहगुज़र
रस्ता कभी रोका तिरा दामन कभी थामा तिरा
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
'अबस है पेश-ए-अर्बाब-ए-सुख़न अज़्म-ए-सुख़न मुझ को
वफ़ा कहने न देगी क़िस्सा-ए-रंज-ओ-मेहन मुझ को
अब्बास अली ख़ान बेखुद
ग़ज़ल
मिरा पयाम है अर्बाब-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न के लिए
कि मन का ख़ूँ न करें इरतक़ा-ए-तन के लिए
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
चलो अच्छा ही हुआ मुफ़्त लुटा दी ये जिंस
हम को मिलता सिला-ए-हुस्न-ए-नज़र ही कितना
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
यहाँ शुऊ'र के नाख़ुन तो हम भी रखते हैं
मगर ये उक़्दा-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र कहाँ खोलें