आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "zinda-dil"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "zinda-dil"
ग़ज़ल
'नसीम'-ए-ज़िंदा-दिल मरने लगे हैं ख़ूब-रूयों पर
ग़ज़ब है ऐसे दानिश-मंद नादाँ होते जाते हैं
नसीम भरतपूरी
ग़ज़ल
जुनूँ की दाद भुला देंगे क्या ख़िरद के ग़ुलाम
जो ज़िंदा-दिल हैं उसे ज़िंदगी समझते हैं
नाजिर अल हुसैनी
ग़ज़ल
मुझ जैसे कुछ दीवाने ही ज़िंदा दिल होते हैं साहब
मैं इतना कमज़ोर नहीं जो पंखा और रस्सी लिखूँगा
शाहनवाज़ अंसारी
ग़ज़ल
कैसी कैसी राह में दीवारें करते हैं हाइल लोग
फिर भी मंज़िल पा लेते हैं हम जैसे ज़िंदा दिल लोग
आबिद अदीब
ग़ज़ल
किया करते हैं मुर्दा-दिल हमेशा मौत की बातें
जो ज़िंदा-दिल हैं वो तो ज़िंदगी की बात करते हैं
मक़बूल अहमद मक़बूल
ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-मंज़िल हो गई उन का गुज़रना देख कर
ज़िंदा-दिल मैं हो गया औरों का मरना देख कर
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
किया करते हैं मुर्दा-दिल हमेशा मौत की बातें
जो ज़िंदा-दिल हैं वो तो ज़िंदगी की बात करते हैं
मक़बूल अहमद मक़बूल
ग़ज़ल
रहा करते हैं मय-ख़ानों में हम पीर-ए-मुग़ाँ हो कर
तबीअत ज़िंदा-दिल रखती है पीरी में जवाँ हो कर
मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी
ग़ज़ल
ज़माने से मिरी ज़िंदा-दिली देखी नहीं जाती
ख़ुशी हो दूसरों की तो ख़ुशी देखी नहीं जाती