aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'habiib-jaalib'"
जो आदमी के लिए अज़्मतों का तालिब हैवो एक लम्हा नहीं है 'हबीब-जालिब' है
दस करोड़ इंसानो!ज़िंदगी से बेगानो!
बच्चों पे चली गोलीमाँ देख के ये बोली
ख़तरा है ज़रदारों कोगिरती हुई दीवारों को
तेरे मधुर गीतों के सहारेबीते हैं दिन रेन हमारे
मैं ने उस से ये कहाये जो दस करोड़ हैं
दीप जिस का महल्लात ही में जलेचंद लोगों की ख़ुशियों को ले कर चले
सलाम ऐ दिल-फ़िगार लोगोसलाम ऐ अश्क-बार लोगो
शहर में हू का आलम थाजिन था या रेफ़्रेनडम था
कहाँ टूटी हैं ज़ंजीरें हमारीकहाँ बदली हैं तक़रीरें हमारी
क़ौम की बेहतरी का छोड़ ख़यालफ़िक्र-ए-तामीर-ए-मुल्क दिल से निकाल
तेरे लिए में क्या क्या सदमे सहता हूँसंगीनों के राज में भी सच कहता हूँ
मेरी बच्ची मैं आऊँ न आऊँआने वाला ज़माना है तेरा
हरियाली को आँखें तरसें बगिया लहूलुहानप्यार के गीत सुनाऊँ किस को शहर हुए वीरान
एक औरत जो मेरे लिए मुद्दतोंशम्अ की तरह आँसू बहाती रही
ज़ुल्मत को ज़िया सरसर को सबा बंदे को ख़ुदा क्या लिखनापत्थर को गुहर दीवार को दर कर्गस को हुमा क्या लिखना
दिल की कोंपल हरी तेरे होने से हैज़िंदगी ज़िंदगी तेरे होने से है
बहुत मैं ने सुनी है आप की तक़रीर मौलानामगर बदली नहीं अब तक मिरी तक़दीर मौलाना
बाज़ार है वो अब तक जिस में तुझे नचवायादीवार है वो अब तक जिस में तुझे चुनवाया
ये ज़ाबता है कि बातिल को मत कहूँ बातिलये ज़ाबता है कि गिर्दाब को कहूँ साहिल
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