aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'jamaalii'"
बहुत अपना अंदाज़ था ला-उबालीकभी थे जलाली कभी थे जमाली
ज़िंदगी को गुज़ारने के लिएवक़्त का ज़हर मारने के लिए
हो चुका गो क़ौम की शान-ए-जलाली का ज़ुहूरहै मगर बाक़ी अभी शान-ए-जमाली का ज़ुहूर
सवेरे सवेरे जगाती हैं अम्मीमिरे हाथ मुँह फिर धुलाती हैं अम्मी
मज़हर जलाली मज़हर जमालीदोनों की सूरत है भोली भाली
इस त'अल्लुक़ पे क्यों निसार न होंये तआ'रुफ़ बड़ा जमाली है
ठहर रहा था जमाली हक़ीक़तों का जिगरबदल रही थी फ़ज़ा-ए-ख़मोश नौइय्यत
मुंबई की है शान निरालीजूहू बीच का रंग जमाली
तिरे जमाल की रानाइयों में खो रहतातिरा गुदाज़-बदन तेरी नीम-बाज़ आँखें
दीप जिस का महल्लात ही में जलेचंद लोगों की ख़ुशियों को ले कर चले
मुलाक़ातें जो होती हैंजमाल-ए-अब्र-ओ-बाराँ में
ज़ुल्मत को ज़िया सरसर को सबा बंदे को ख़ुदा क्या लिखनापत्थर को गुहर दीवार को दर कर्गस को हुमा क्या लिखना
तेरा जलाल ओ जमाल मर्द-ए-ख़ुदा की दलीलवो भी जलील ओ जमील तू भी जलील ओ जमील
दस करोड़ इंसानो!ज़िंदगी से बेगानो!
बहुत मैं ने सुनी है आप की तक़रीर मौलानामगर बदली नहीं अब तक मिरी तक़दीर मौलाना
शौकत-ए-संजर-ओ-सलीम तेरे जलाल की नुमूद!फ़क़्र-ए-'जुनेद'-ओ-'बायज़ीद' तेरा जमाल बे-नक़ाब!
मैं ने उस से ये कहाये जो दस करोड़ हैं
कहाँ टूटी हैं ज़ंजीरें हमारीकहाँ बदली हैं तक़रीरें हमारी
हर ज़र्रा-ए-सर-ज़मीन-ए-गोकुलदारा है जमाल-ए-दिलबरी का
ध्यान न दूजा मन में आएबस पीछे ही नज़र जमाना
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