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नज़्म
लेकिन मैं तो इक मुंशी हूँ तू ऊँचे घर की रानी है
ये मेरी प्रेम-कहानी है और धरती से भी पुरानी है
मीराजी
नज़्म
मजीद अमजद
नज़्म
हिंसा को अहिंसा का अपनी पैग़ाम सुनाने आया था
नफ़रत की मारी दुनिया में इक प्रेम संदेसा लाया था
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
तुम ने लिक्खा है मिरे ख़त मुझे वापस कर दो
डर गईं हुस्न-ए-दिल-आवेज़ की रुस्वाई से