aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'qurbii'"
मैं ने ये कहा कोई गिला मुझ को नहीं हैये आप का हक़ था ज़े-रह-ए-क़ुर्ब-ए-मकानी
एक झिजक सी साथ रही क्यूँक़ुर्ब की साअत-ए-हैराँ में
तफ़रीक़-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ का झगड़ा नहीं रहातमईज़-ए-क़ुर्ब-ओ-बोद मिटाती चली गई
क़ुर्ब-ए-चश्म-ओ-गोश से हम कौन सी उलझन को सुलझाते रहे!कौन सी उलझन को सुलझाते हैं हम?
सालियाँ कहने लगीं क़ुर्ब-ओ-क़रीं है कोईसाले ये बोले कि मरदूद-ओ-लईं है कोई
एक को है तिशनगी-ए-क़ुर्ब-ए-हक़जिस ने किया दिल से जिगर तक है शक़
मोहब्बत क़ुर्ब की ख़्वाहिश पे आए तो समझ लेनाहवस ने सर उठाया है
तो समझते हैं कि साहिल पायाअपनी दिन रात की पा-कूबी का हासिल पाया
है इसी इज़हार से हासिल मुझे क़ुर्ब-ए-हयातरूह का इज़हार कैसे भूल जाऊँ
मैं इस ख़िश्त-कोबी से उकता गया हूँकहाँ हैं वो दुनिया की तज़ईन की आरज़ूएँ
आक़ा का ग़ुलामों से ये है क़ुर्ब का हंगामदिल होते हैं सरशार फ़ना होते हैं आलाम
रूह को लज़्ज़त तुम्हारे क़ुर्ब मेंऔर आँखों में तेरा मंज़र रहा
चहचहे कराहेंये पात नौहे पे सीना-कूबी में गुम अज़ा-दार
جہاں اگرچہ دگر گوں ہے ، قم باذن اللہ وہي زميں ، وہي گردوں ہے ، قم باذن اللہ
नमाज़ को जो जाओगेख़ुदा का क़ुर्ब पाओगे
दूद दूद साएक क़ुर्ब के दरमियाँ
नसीब हो गया किस किस को क़ुर्ब-ए-सुल्तानीमिज़ाज किस का यहाँ तक क़लंदराना रहा
रात को जब भी आँख खुली हैमुझ को यूँ महसूस हुआ है
मरे क़ुर्ब-ओ-जवार दीदा-ओ-दिल से गुज़रती थींमगर मैं ने
सब मुसाफ़िरक़ुर्ब के एहसास से ना-आश्ना बैठे हुए हैं
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