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नज़्म
क़ौम-ए-आवारा इनाँ-ताब है फिर सू-ए-हिजाज़
ले उड़ा बुलबुल-ए-बे-पर को मज़ाक़-ए-परवाज़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मोर-ए-बे-पर हाजते पेश-ए-सुलैमाने मबर
रब्त-ओ-ज़ब्त-ए-मिल्लत-ए-बैज़ा है मशरिक़ की नजात
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तुम्हारी दावत क़ुबूल मुझ को मगर तुम इतना ख़याल रखना
बीयर किसी भी ब्रांड की हो चिकन-फ़्राइड हलाल रखना
खालिद इरफ़ान
नज़्म
सरपट लखनवी
नज़्म
हम से लेकिन मिल नहीं सकते उन्हें आँधी के बेर
लूटते हैं अजनबी को जो दिखा कर हेर-फेर
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
जिस पे नाज़ाँ अपने दिल में रावन-ए-बे-पीर था
थे तिलाई बुर्ज जिस के और मुरस्सा बाम-ओ-दर
मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी
नज़्म
नहीफ़-ओ-ज़ार पाबंद-ए-सलासिल बे-ज़र-ओ-बे-पर
है कितनी जाँ-गुदाज़-ओ-दिल-शिकन तस्वीर भारत की
नो बहार साबिर
नज़्म
खाए आख़िर किस ने मेरे सेब अनार और बेर
मिस्टर कोई नहीं ये बोले हम को क्या मालूम