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नज़्म
बंदर बाँट रहा था फलियाँ बोला गिध हो के बरहम
''ये अच्छी तक़्सीम है तेरी ख़ुद ले ज़ियादा हम को कम''
जमील उस्मान
नज़्म
यहाँ दीवार पर मैं ने चमकता चाँद छोड़ा था
हँसी के मोतियों की एक माला थी जो तुम ने गिफ़्ट में दी थी
सीमा ग़ज़ल
नज़्म
उड़ते गिध की आँखों में तस्वीर बनी हैरत की
रेत चमकती रेत, रेत और पत्थर और इक घोड़ा