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नज़्म
जो है इक नंग-ए-हस्ती उस को तुम क्या जान भी लोगे
अगर तुम देख लो मुझ को तो क्या पहचान भी लोगे
जौन एलिया
नज़्म
जब तक तुम भूके नंगे हो ये नग़्मे ख़ामोश न होंगे
जब तक बे-आराम हो तुम ये नग़्मे राहत-कोश न होंगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़्म
ये देखते ही हुजूम बिफरा भड़क उठे यूँ ग़ज़ब
कि शोले के जैसे नंगे बदन पे जाबिर के ताज़ियाने
नून मीम राशिद
नज़्म
तुम नंद को नैन के तारे हो तुम दीन दुखी के सहारे हो
तुम नंगे पैरों ढाने हो भगतों का मान बढ़ाने को