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नज़्म
ज़िंदगी की क़ूव्वत-ए-पिन्हाँ को कर दे आश्कार
ता ये चिंगारी फ़रोग़-ए-जावेदाँ पैदा करे
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मिट नहीं सकता कभी मर्द-ए-मुसलमाँ कि है
उस की अज़ानों से फ़ाश सिर्र-ए-कलीम-ओ-ख़लील
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ज़र्रात का बोसा लेने को सौ बार झुका आकाश यहाँ
ख़ुद आँख से हम ने देखी है बातिल की शिकस्त-ए-फ़ाश यहाँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
दश्त के काम-ओ-दहन को दिन की तल्ख़ी से फ़राग़
दूर दरिया के किनारे धुँदले धुँदले से चराग़
जोश मलीहाबादी
नज़्म
बिन ज़ाहिर किए तमाम एहसासात जो परख लेती थी
मेरे लिए जो हर कहानी हर एक क़िस्से में थी
आमिर रियाज़
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
अभी मशिय्यतों पे फ़त्ह पा नहीं सका बशर
अभी मुक़द्दरों को बस में ला नहीं सका बशर
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
और तुम उस का हाथ हाथों में न ले पाओ
न आँखों ही में झाँको और न दिल की सल्तनत को फ़त्ह कर पाओ
सलीम कौसर
नज़्म
थर-थर का ज़ोर उखाड़ा हो बजती हो सब की बत्तीसी
हो शोर फफू हू-हू का और धूम हो सी-सी सी-सी की
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
हमेशा सब्ज़ रहेगी वो शाख़-ए-मेहर-अो-वफ़ा
कि जिस के साथ बंधी है दिलों की फ़तह ओ शिकस्त