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नज़्म
ख़रोश-आमोज़ बुलबुल हो गिरह ग़ुंचे की वा कर दे
कि तू इस गुल्सिताँ के वास्ते बाद-ए-बहारी है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
सुकूत-आमोज़ तूल-ए-दास्तान-ए-दर्द है वर्ना
ज़बाँ भी है हमारे मुँह में और ताब-ए-सुख़न भी है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
दयार-ए-शर्क़ की आबादियों के ऊँचे टीलों पर
कभी आमों के बाग़ों में कभी खेतों की मेंडों पर
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
हाए अब क्या हो गई हिन्दोस्ताँ की सर-ज़मीं
आह ऐ नज़्ज़ारा-आमोज़-ए-निगाह-ए-नुक्ता-बीं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
सुब्ह-ए-अज़ल जो हुस्न हुआ दिलस्तान-ए-इश्क़
आवाज़-ए-कुन हुई तपिश आमोज़-ए-जान-ए-इश्क़